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नेमिनाहचरिउ
[२१४९]
तं पि हविहसि सोमदत्तस्सु नर-नाहह सोमसिरि नाम धृय सुर-तरुणि-सरिसिय । जायम्मि य इंद-महि दुट्ठ-करिण अच्चंत-धरसिय ॥ जो सु-पुरिसु तई रक्खिसइ निय-जिउ पणु मिल्लेवि । सो च्चिय तुह हविहइ दइउ पिसुणहं मण सल्लेवि ॥
[२१५०
एहु केवलि-वयणु निमुणेवि अंतम्मि नियय-ट्ठिइहि चविवि सोमदत्तह नरिंदह । हउं कन्नय हूय इय विरहि तस्सु वयणारविंदह ॥ कसु अग्गइ अक्खउं दुहई कसु व सुहइं साहेमि । अह पडिहारि समुल्लविवि जुइ-न ज हउं वि करेमि ॥
_ [२१५१]
गंतु निवइहि पाय-मूलम्मि परिसाहइ सोमसिरि- कहिउ सयलु पुव्वुत्त वइयरु । ता निवइण तक्खणि वि निव-कुमर काऊण उत्तरु ॥ निय-निय-नयरि वि सच्चविय सयमुज्जाणि पहुत्तु । जा ता पयडीहुयउ करि- विसइ तुम्ह वुत्तंतु ॥
[२१५२]
सोमसिरि पुणु दुट्ट-करि-वरह तई तइयहं छोडिय वि विसम-सरिण हम्मंत संपइ । तह चिट्ठइ कह-वि जह तमु सरूवु सेसु वि न जंपइ ॥ इह मह मुहिण सुणावियउ तुह भणियव्व-विसेसु । ता निय-पाणिग्गह-कवय- दाणिण आसासेसु ॥
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