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________________ ४९१ २१५६ ] नबमभवि वसुदेववुत्तंतु [२१५३] तयणु सउरिण सा वि परिणीय ता पुन्व-जम्मह वसिण तेसि जाउ पडिवंधु अ-सरिसु । अह निसुणिवि निय-खयर- मुहिण सयल वुत्तंतु एरिसु ॥ चित्तंगय-खयराहिवइ- सुय-माणसवेगेण । सुत्तइ सउरिहिं सोमसिरि रयणिहिं हरिवि हटेण ॥ [२१५४] नीय निय-पुरि सिरिसुवन्नाभि तयणंतर वेगवइ नाम भइणि नियइल्ल बुत्तिय । तह कहमवि भणसु जह एह हवइ मह चेव रत्तिय ॥ वेगवईए वि सा भणिय न-उण पवज्जइ किं-पि । विमल-सील-चिंतामणि वि न विराहइ ईसिं पि ॥ [२१५५ अह परुप्परु जाउ पडिवंधु अवरम्मि उ दिणि भणिय सोमसिरिहिं वेगवइ जह – सहि । सो जायव-सिरि-तिलउ कह-वि मज्झ आणेउ मेलहि ॥ अह जा गयणिण वेगवइ उज्जाणुवरि पहुत्त । ता विम्हय-रस-भरिय-मण विहसिय-मुह-सयवत्त ॥ [२१५६] नियय-कंतिण विजिय-दिण-इंदु निय-रूविण जिय-मयणु चत्त-पाण-भोयण-विलेवणु । अवलोइय सोमसिरि सोमसिरि ति जंतु पुणु पुणु ॥ ढुंदुल्लंतउ तहिं जि वणि सयल-महीयल-सारु । परिमउलिय-वयणंबुरुहु सु जि वसुदेव-कुमारु ॥ २१५९. ४. क. नह. २१५५. ७. क. पहुत्तु. ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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