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________________ ४८८ [२१४१ मेमिनाहचरिड [२१४१] अह सिणाणिण वर-विलेवणिण नाणाविह-भूसणिण विहिय-चारु-सिंगारु मणहरि । पल्लंकि निसिएइ खणु जाव सविहि संठियइ वणि-वरि ॥ ताव समागय वणि-चरह तसु मंदिरह दुवारि । परिवियसिय-मुह-कमल इग नरनायग-पडिहारि ॥ [२१४२] ता पयच्छिवि हत्थि वणि-चरह नर-नाहिण पेसियउ वहु-पसाउ साणंदु सउरिहि । सविहम्मि भणेइ जह सोमदत्त-नरवरिण कुमरिहि ॥ सोमस्सिरि-अभिहाणयह निय-धूयह पाउग्गि । कयइ सयंवर-मंडवइ निय-सिरि-अहरिय-सम्गि ॥ [२१४३] विविह-नरवइ-कुमर आहृय सद्दाविय सुहि-सयण गणय-पुरिस आगय अ-संखय । परिपिडिय तक्खणिण वंदि-विंद वहु-संख-लक्खय ॥ अह सव्वाण-महामुणिहि केवल-नाण-महम्मि । चलियासणि पत्तइ खणिण तहिं जि देव-निवहम्मि ॥ [२१४४] कत्थ एरिसु अमर-निउरुवु मई दिछु इय चिंतिरिहि सोमसिरिहि हुउ जाइ-सुमरणु । ता केण समाणु इह जंपियव्वु इय करिवि ददु मणु ॥ मोण-व्वउ अवलंविउण चिट्ठइ वियसिय-अच्छि । पुच्छिज्जत वि निवइण वि किं-पि न कहइ मयच्छि ॥ २१४१. ८. क. कमल. २१११. ८. क. ख. निवहणु. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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