SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४७ २१४० ] नवममधि वसुदेववृत्तंतु [२१३७] तयणु पुच्छइ ससुर-पासम्मि किं एहु दीसइ अवरु नयरु किं-पि ता भणइ ससुरउ । इह नरवइ-कन्नयह जोग्गु रम्मु किर आसि विहियउ ॥ एहु सयंवर-मंडवउ किंतु अज्ज सा कन्न । दुस्सह-चाहि-समागमिण हुय गलंत-चेयन्न । [२१३८] अह नियत्तिवि सयल निव-कुमर संजाय विवन्न-मुह निय-निएसु ठाणेसु अइगय । वसुदेवु वि कइ-वि पय देइ जाव ता तहिं पहुत्तय ॥ सेट्टि-पुरोहिय-मंडलिय- सचिवाहिव-सामंत । उचिओचिय-ठाणिहि वि ठिय हरिसिण पुलइज्जंत ॥ [२१३९] एत्थ-अंतरि तहिं जि संपत्तु संतेउरु धरणिवइ किं तु भग्ग-आणाल-हत्थिण । कड्ढेविणु रह-वरह गहिय एग निव-कन्न सुंडिण ॥ ता हा-हा-रवि पसरियइ मिलियइ नायर-लोइ । तसु पुणु करि-अहमह समुहु पगु वि न वियरइ कोइ । [२१४० किंतु सउरिण समुहु धावेवि वामोहिवि दुट्ठ-करि कड्ढिऊण वहु-दुह-करालिय । परिमुक्क पासाय-तलि निय-करेहिं सा निवइ-वालिय ॥ तक्खणमवि सयलहं महिहिं जायउ साहुक्कारु । सेट्टिण पुणु महया महिण निय-घरि नियउ कुमारु ॥ २१४०.६ क. गहिहिं. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy