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[२१३३
नेमिनाहचरिउ [२१३३]
अवर-दिणि पुणु खयर-कुमरेण अंगारय-नामगिण सुह-पसुत्तु पडिवक्ख-दूसणु । कलहंस-रूव-च्छलिण अवहरेउ जायव-विहूसणु॥ खित्तउ गंग-महानइहि सलिलि अणोरप्पारि । किं पुण खण-मित्तिण सउरि तरिउण सुर-सरि-वारि ॥
[२१३४]
चिर-समज्जिय-मुकय-पब्भारु इलवद्धण-नाम-पुरि गंतु कमिण वणि विवणि चीहिहिं । उवविठ्ठउ कं-चि खणु हट्टि नयर-उत्तिमह सेट्ठिहि ॥ तसु अणुहाविण सेटिण वि सय-सहस्सु दविणस्सु । ववहरमाणिण अज्जियउ मज्झि वि एग-दिणस्सु ॥
[२१३५]
तयणु सेट्ठिण स-घरि नेऊण सम्माणिवि वहु-विहिहिं तसु विइन्न भुवण-प्पहाणिय । रयणवई नाम निय- धूय सरय-ससि-सोम-वयणिय ।' तीए सह तमु चिट्ठिरह गच्छंतिहिं दियहेहिं । संपत्तउ तहिं सरय-रिउ सह कलहंस-सएहि ॥
[२१३६] __अह सु कंचण-रहि समारूदु ससुरेण सह इंद-मह- पेच्छणत्थु गउ पुरि महापुरि । कीलंतउ पुणु पुरह तस्सु वहिहिं उज्जाणि मणहरि ॥ पेच्छइ निय-सिरि-अवगणिय-तियसासुर-भवणाई । तुंग-विसालई धवलहर जय-जण-मणहरणाई ॥ २१३६. ५. वहिहिं.
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