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________________ २०९२] नवमभवि वसुदेववुत्तंतु इओ य-- [२०८९] महि-नियंविणि-तिलइ वेयइढि सिरि-नमि-खयराहिवह वंसि गइहि गय-संख-निवइहि । पहसिउ खयरिंदु हुउ तसु हिरन्नवइ-नाम-दइयहि ॥ निरुवम-सिविणुवसूइयउ पसरिय-गुणहं निहाणु । जायउ खयराहिव-तिलउ सिरि-मुदाढ-अभिहाणु ॥ [२०९०] तिण हराविवि सुत्तु वसुदेवु आणाविवि निय-भवणि सुइरसिद्ध-वेयाल-पासह । सम्माणिउ वहु-विहिहिं पूरणत्थु निरु नियय-आसह ॥ तयणतरु ससि-विमल-कल- निरुवम-गुण-मणि-धाम । नियय दुहिय भुवणब्भहिय सिरि-नीलंजस-नाम ॥ [२०९१] सा महा-मह-पुव्वु तिण तस्सु वसुदेवह दिन्न अह तीए समगु स-पयाव-दिणमणि । सो अँजिरु विसय-सुह गमइ कालु जायव-सिरोमणि ॥ अवरम्मि उ अवसरि सरई सिरि-हिरिमंत-नगम्मि । ताई दुवे वि-हु गंतु खणु ललहिं कयलि-हरयम्मि ॥ [२०९२] एत्थ-अंतरि चलिर-चूलिल्लु अलि-गवल-तमाल-दल- कंठ-नाल-देसिण विहूसिउ । पसरंत-केकारविण पंच-वन्न-अंसिण अ-दूसिउ ॥ परिनच्चंतु सिहंडि इगु पूरिय-गरुय-कलावु । अवलोइउ वालियहं तहिं अमय-महुर-आलावु ॥ २०८९. २. क. विनमि. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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