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२०८४ ]
नवमभवि बसुदेवबुत्तु
[२०८१]
छट्टमम्मि उ रुद्ददत्तेण हम्मंतउ छगल-भवि टंकणम्मि विसयम्मि अ-सरणु । निक्कारण-कारुणिय- रुइण इमिण कारविउ सुमरणु ॥ जिणवर-धम्मह सुह-गुरुहं नव-भेयहं तत्ताह । अन्नेसि पि तहा-विहहं जिण-पणीय-भावाहं ॥
[२०८२]
अंत-अवसरि जाय-सम्मत्तु आलोइय-दुच्चरिउ सरिय पंच नवकारु भाविण । अवहत्थिय-तणु-असुहु सुद्ध-झाणु परिचत्तु जीविण ॥ जायउ सोहम्मम्मि सुर- मंदिरि देव-कुमारु ।। तक्खणमवि तसु सुर-गणिण दंसिउ सुर-सिरि-सारु ॥
२०८३]
अवहि-नाणिण मुणिय पुव्वुत्तु वुत्तंतु स-धम्म-गुरु- नाम-मंतु मुमरिवि स-परियणु । सो हउं जि इहागमिवि नमहुं इमह मिल्लेवि मुणि-जणु ॥ ता विम्हिय नहयर सयल पमुइय अमर-कुमार । चारुदत्त-तियसहं पुरउ पयडहिं हरिस-वियार ॥
[२०८४]
चारुदत्तह पुरउ अह अमरु साणंदु समुल्लवइ देसु मज्झ आएसु वणि-वर । तयणंतरु भणइ वणि- पवरु - एज्ज सुमरियउ सुर-चर ॥ अह चारण-मुणि-वरह पय पय वणिणो वि नमेवि । सेवइ तियसु सु सुर-सुहई सुर-मंदिरि गच्छेवि ॥ २०८३. ७. क. कुमारु. २०८४. ४. क. तियणतरु.
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