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२०७५]
४७१
नवमभवि वसुदेववुत्तु
४७१ [२०७२]
अह जु जिप्पइ जेण सो तस्सु सुस्सूस करेइ इय कय-पइण्णु वायम्मि दुक्कइ । सह सुलसहं निव-सहहं न य लवं पि निय-कलहं चुक्कइ ॥ ता निज्जिय तिण सुलस तमु सुस्मृसिय संजाय । चिट्ठति य दु-वि अणवगय- दिणयर-रयणि-विभाय ॥
[२०७३]
तहिं ललंतहं चत्त-वय-भंगअभिमाण-दोसाहं तहं काल-कमिण संजाउ नंदणु । अह सुलसहं नणु जणु वि मा मुणिज्ज मह-वयह खंडणु ॥ इय चिंतेविणु पिप्पलह हेट्टि चत्तु निय-पुत्तु । लोय-पवायह भइण पुणु दो-वि ति नट्ट निरुत्तु ॥
[२०७४]
विहि-चसेण य वयणि निवडंत भक्खतउ पिप्पलह पिप्प वालु दिद्वउ सुभदई । ता घेप्पिणु निय-करिहिं अ-वितहत्थु फुरियावसदहं ॥ तसु तीए च्चिय वियरियउं पिप्पलाद इय नामु । सो उण संगोवंगई वि वेयहं हुउ गुरु-धामु ॥
[२०७५]]
तयणु सुलसह जन्नवक्कह वि पुव्वुत्तु वइयरु सयल परिसुणेवि वयणिण सुभद्दह । कोवारुण-नयण-दलु पिप्पलादु हुउ उवरि जणयहं ॥ नणु पडिवज्जिय-सील-वय किह संपइ एयाइं । खंडिय-सीलई सुय-वहिण किय-पावई जायाई ॥ २०७२. २. क. सुस्सू left out.
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