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[२०६०
नेमिनाहचरिउ
[२०६०] चारुदत्तह विविह-चयणाई एवंविह निसुणिरिण किं-चि समिय-सारीर-दुक्खिण । नवकार-परायणिण गाढ-वद्ध-जिणधम्म-लक्खिण ॥ भावाराहिय-अणसणिण जणिय-पाव-कम्मंतु । रुद्ददत्त-हत्थिण छगिण पाविउ जीविय-अंतु ॥
२०६१] तयणु अ-विरल-गलिर-रुहिरेहि उत्थल्ल-तय-भत्थडिहिं रुद्ददत्तु पविसेइ एगहं । गइमन्नमपेच्छिरउ चारुदत्तु पुणु विसइ अवरहं ॥ ता भारुंड-प्पक्खिइहि दु-वि आमिसह मईए । उक्खिविउण नहयल-पहिण निय दूरयर-महीए ॥
[२०६२] किं तु छुट्टिवि विहि-निओएण भारुड-चंचु-पुडह चारुदत्तु निवडिउ जलासइ । अह छुरियइ छिदिउण भत्थडि पि पसरंत-आवइ ॥ कह-कहमवि हु अगाह-जलु तरिवि पहुत्तउ तीरि । संपाविय-चेयन्न-लवु तहिं वायंति समीरि ॥
[२०६३] अह अ-माणुस-अडइ-मज्झम्मि मिणमाणु व गयणयल तुंगु एगु पव्वउ निरिक्खइ। ता आरुहमाणु तहिं सणिउ सणिउ गच्छंतु लक्खइ ॥ चारण-मुणिवरु एगु अह सिरि कर-कोसु करेवि । अप्पु कयत्थउं मुणिरु तमु पय-पउमई पणमेवि ॥ २०६१. २. उच्छलइतय.
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