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वस - विहलिय-सयल - विहि घिसि मई किउ पुव्व-भवि भमहुं महीयलि न उण मह
न य मिउ-महुरिण वयणिण वि मई परिताय को वि ॥
नेमिनाहचरिउ
[२०५२]
चिर- समज्जिय- असुह-वावार
[२०५३]
इय विचितिरु जणय - मित्तस्सु
भवियव्व-वसेण परिमिलिउ रुद्ददत्ताभिहाणह । उसुवेगवइ-ति-अभिहाण - नइहि तीरम्मि दुग्गह ॥ वेत्तलइय-अभिहाणयह गिरि - कूडह मझेण । कंचण - विसयासन्न दु-वि पत्त गरुय कट्ठेण ॥
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जह घेण य अज-जुलु
छल-पवेसु जायइ मणूसहं । चलिय समुह अग्गिमहं देस ॥ कम - जोगेण य सविह-ठिय- छगल-वसिण गय- विग्ध । अइ- दुल्लंघु वि छगल-पहु लंघहिं पवण व सिग्घ ॥
इत्थ अजार्ह विणु
चारुदत्तु चिंते विलविरु । असुहु किं-पि तं जेण खिज्जिरु ॥ जायइ सुहहं लवो वि ।
[२०५४ ]
तणु निणिवि जगह वयण
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[२०५५]
ता पयंपिउ रुद्ददत्तेण
एत्तो वि हु करु
अग्ग-मग्गु इय संपहारिवि ।
सविह- उ संगहिवि अज्ज एहु अज-जुयलु मारिवि । यच्चम्मिण भत्थडिय काउ तहुत्थल्लेवि । मज्झमि य पविसेवि ॥
संलीगंगोवंग तह
२०५२. ८. क. न मिउ.
[ २०५२
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