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२०५१ ]
नवमभवि वसुदेववृत्तंतु
[२०४८] रसह तुंवउं कह-वि पढमयरु अ-पयच्छिरु मग्गिउ वि फुरिय-गरुय-कोविण ति-दंडिण । पेल्लेविणु रस-जुउ वि खिविउ विवरि अह दुहिण चंडिण ॥ आउलु खलिर-प्पडिरु गउ मेहलहं वि हेट्टम्मि । न-उ मरणंत-दुहावणइ पडियउ रसि दुट्टम्मि ॥
[२०४९] भीय-कंपिरु भणइ पुणु पुरउ तमु पुव्व-पविट्ठयह अहह भाय किह नरय-सरिसह । एयस्स महा-दुहह उत्तरेसु ता तसु हयासह ॥ पुरउ पयंपिउ पुवयर- पुरिसिण जह - न उवाउ । चिट्ठइ मरणह अंतरिण अह पसरंत-विसाउ ॥
[२०५०] चारुदत्तु सु भणइ पुणरुत्तु जह - बंधव तह वि कु-वि कहसु तयणु इयरेण साहिउ । इह एही गोह इग तीए पुच्छि लग्गेउ अवहिउ ॥ गच्छेज्जसु विवरह वहिहिं अन्नह पुणु झिज्जंतु । हंत रसंतरि निवडियउ मरिसि करुणु विलवंतु ॥
[२०५१] विहि-निओइण चारुदत्तो वि तसु विवरह उत्तरिउ पुणु वि जाउ अप्पाणु मन्निरु । तमु सिहरिहि उत्तरिवि किं-चि अग्ग-मग्गम्मि गच्छिरु ॥ वण-महिसिण एगिण वि वणि जगडिज्जंतु अणाहु । छुट्टउ कहमवि गरुयरहं सिलहं विलंविय-काहु ॥ २०४८. ९. क. पडिवउ. २०५०. १. क. पुणुरुत्तु; ५. क. पुच्छ.
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