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________________ ४६४ [२०४४ नेमिनाहचरिउ [२०४४] अह दुवेहिं वि तेहिं जणवाउ सच्चाविउ जं भणइ लोउ- एत्थ लोहिठ्ठ झुट्टिण । भामिज्जइ इय तवसि विहव-लुद्ध-वणिएण धट्ठिण ॥ पारद्धउ सेवेउ अह दो वि ति सिहरि-विसेसि । गंतु हवेउण एगयर- विवरह उवरि-पएसि ॥ [२०४५] भणइ तावमु-वच्छ पविसेउ रस-कूवि एयम्मि तुहुँ भरिवि रसह आणेसु तुंवउ । तयणतरु अ-क्खुहिउ चारुदत्तु इच्छिरु मुवन्नउं ॥ पिच्छंतउ भोसण-सयई गच्छंतउ अ-खलंतु । रस-कूविय-उवरि-ट्ठियहं गिरि-मेहलहं पहुत्तु ॥ [२०४६] अह निवारिउ नरिण एगेण तहिं पुव्व-पविटइण जह-म भद तुहुं एज्ज अग्गहु । इह हउं वि कवालिइण इमिण खिविउ धणि कय-असम्गहु ॥ खज्जतउ एइण रसिण कडियडु जाव विलीणु । चिट्ठहुं कंठ-पइ-हय- जीवियव्वु अइ-दीणु ॥ [२०४७] किंतु दवरिण गाहु वंधेवि रस-तुंवउं मह समुहु खिवसु जेण अप्पेमि भरिउण । इयरो वि तह त्ति तसु वयणु सयल अ-वियप्पु करिउण ॥ तावस-खिवियहं दवरियहं अवलंविवि जा पत्तु । रस-कूविय-तडि ता मुणिय- कावालिय-वुत्तंतु ॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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