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२०४३ ]
नवमभवि वसुदेववुत्तु
[२०४० भंड-दविणिण गहिवि कप्पासु चलियउ अह अद्ध-पहि दटु सयल सु दवग्गि-पसरिण । ता लक्खण-रहिउ इहु इय मुणेवि परिहरिउ सयणिण ॥ पय-चारेण पियंगु-पुरि चारुदत्तु संपत्तु । जा ता तत्थ निएइ सुरइंददत्तु पिउ-मित्तु ॥
[२०४१] तिण वि निसुणिय-पुव्व-वइयरिण पसरंत-करुणा-भरिण चारुदत्तु निय-तणय-बुद्धिण । अवलोइउ न-उण तहिं थक्कु चत्तु चिर-सुकय-रिद्धिण ॥ अह उद्धारइ सय-सहसु एगु गहेविणु तत्थ । चलिउ जउण-दीवह समुहु भरिवि विविह वोहित्थ ॥
[२०४२] कमिण कणयह अट्ठ-कोडीउ समुवज्जिय कह-कह-वि वहु-विहे हिं देसिहि भमंतिण । आगमिरह पुणु स-पुर- समुहु फुटु वोहित्थु अ-इरिण ॥ जल-निहि-मज्झम्मि य भमिवि सत्त अहो-रत्ताई। विसहेविणु मण-तणु-जणिय- नाणाविह-दुक्खाइं ॥
[२०४३] फलह-खंडिण उत्तरेऊण रायउर-उज्जाण-वणि नियइ एगु तेदंडि-जोगिउ । उवसंतउ वहिहिं अइ- दुछ अंति तसु पइहि लग्गिउ ॥ चारुदत्तु पणमिवि कहइ निय-वुत्तंतु असेसु । तयणु भणिउ इयरिण- करिमु हउं तुह रिद्धि-विसेसु ॥ २०४०. ८. क. इ added above the line after निए; ख. निए. २०४२. १. क. कोडीओ. २०४३. ४. क. उवविहिहिं.
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