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नेमिनाears
[२०२८] इय विचितिवि चारुदत्तेण
एगत-पसि वमुदे धूय-सहिण स- संकिण | संलत्तउ नर-रयण धुवु इमेण तनु-कंति कित्तिण ॥ नज्जसि सुर- गिरि- तुंगि कुलि कत्थ-वि तुहुं उप्पन्नु । arot महं इमिहि गुणिहि न हवाइ नरु सामन्नु ॥
[२०२९]
वणिय - मित्तह इमह इह धूय
गंधव्वसेति तुहुं परि निसुणसु वालियह आसि महिढपुर-पवरु निम्मल सम्मद्धिट्ठि । अहिगय-जीवाजीव - विहि भाणु नामु इह सेट्ठि ॥
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चिंतयंतु चिट्ठसि स चित्तिण । इमह कहहुं उप्पत्ति लेसिण ||
[२०३०]
तस्स भारि पुणु सुभद्दति
तेसिं तु उयाइइहिं कम जोगिण तरुणियणतयतरु वहु- सुहि- सहिउ
पेक्ख स-पिओ वि-हु खयर- पयई तीरि सरियाए ||
तयसारिण
वच्चतर कयलि - हरि तवारि तहोसहिहिं सह एगेण महा- दुमिण खयरु एगु वेयण-विहरु
जाउ चारुदत्तोत्ति नंदणु । हियय-हरणु सो पत्तु जोव्वणु ॥ कीलंतर वहियाए ।
[२०३१]
अग्ग - मग्गम्मि
fart कुसुम - सत्थरि मणोहरु | वलय तिन्नि पुरओ य वच्चिरु ॥ की लिउ अय- कीलेहिं । नियइ नियय- नयणेहिं ॥
२०२८. ८. क. मुणिहि.
२०२९. ३. क. दिंतयंतु, ख. वितयंतु; क. वत्तिण; ९ ख. सिडि.
[ २०२८
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