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२०३५ ]
नवमभवि वसुदेववुत्तंतु
[२०३२]
विहि-निओइण गरुय-करुणाए घरिसेविणु ओसहिहि वलउ एगु उवरिम्मि कीलहं । विणिहित्तु तडत्ति करि नीहरीय कीलय वि लीलहं ॥ वीओसहि-वलएण पुणु रोहिय सयल-वणाइं । तइएण उ सो सज्जु हुउ अह वियसियई सुहाई ॥
[२०३३]
ता पयंपिउ चारुदत्तेण नणु साहसु को सि तुहं कह व पत्तु दस विसम एरिस । ता लज्जिरु खयर-नरु भणइ - कहउं कि तुज्झ सु-पुरिस ॥ तह-वि हु तुहुँ मह जणय-समु जीवियव्व-दाणेण । इय वइयरु साहेमि तुह मुणु अवहिय-हियएण ॥
तहा हि
[२०३४
जंवू-दीविहिं भरह-वासाम्म वेयड्ढ-महागिरिहिं दाहिणाए सेढीए मणहरु । सिवमंदिरु नाम पुरु आसि तत्थ गुरु-गुणिहिं सुंदरु ॥ सिरि-महिंदविक्कमह खरिदह नंदणु एगु । अमियगइ त्ति पसिध्दु हउं अवरावसरि सुवेगु ॥
[२०३५]
गयउ परिमिय-सार-परिवारु हिमवंत-नामय-गिरिहिं तहिं हिरण्णरोमाभिहाणह । एगयरह तावसह धृय दिट्ठ मई तयणुरागह ॥ वसिहयउ हउं सच्चविउ निउ जणणी-जणएहिं ।। तयणंतर परिणावियउ तमु जि रिसिहि भणिएहिं ॥
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