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२०२७ ]
नवमभवि वसुदेववृत्तंतु [२०२४]
अह कुमारह रूवु अ-समाणु सच्चविवि विम्हिय-हियय नूण एहु अमरो त्ति चिंतिर । सयलम्मि वि तरुण-जणि आगयम्मि तह मणि वियंभिर ॥ सा तरुणिय तरुणहं कमिण वीणउ वियरावेइ । वसुदेवु वि सयलाउ लहु दूसिवि छड्डावेइ ॥
[२०२५]
तयणु सतरस-तंति-विणिवद्धनीसेस-लक्खण-कलिय गलिय-दोस उदंड-दंडय । वसुदेवह निय-करिहिं नियय-वीण अप्पिय पयंडय ॥ अह मुच्छाविवि दाहिणिण करिण भणिउ कुमरेण । कहसु नियंविणि वीण इह वायहुं केण सरेण ॥
__ [२०२६]
ता चमक्किय-हियय-वावार गंधव्वसेणा भणइ अमर-खयर-सामिहि जु गिज्जइ । सिरि-विण्हुकुमार-मुणि- पुरउ कोवु सु वि जिण विसज्जइ ।। सो वीणा-सहेण सरु गिज्जउ अज्ज निरुत्तु । कुमरेण वि तह विहिउ लहु किंतु विसेसिण जुत्तु ॥
[२०२७]
ता समग्गिण तेण लोगेण उववूहिउ कुमरवरु तम्मि सा वि अणुरत्त वालिय । सुग्गीवु वि विम्हियउ तहिं जि गइय वणि-वस हियालिय ॥ किं पुण गुणिहिं इमेरिसिहि एहु न धुवु सामन्नु । ता न कहं-चि वि समुचियउ एयह काउ अ-वन्नु ।
२०२४. ५ क. माणि.
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