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[२०२०
नेमिनाहचरित [२०२०]
भणइ पुणु जह - मई सु परिणेइ जो वीणा-वायणिण निज्जिणेइ तुम्हहं समक्खु वि । इय सयलु वि तरुण-जणु कामिणीए तहिं वद्ध-लक्खु वि ॥ मासह मासह अंति इह परियट्टेइ उदग्गु । सिरि-जसगीव-सुगीवयहं गुरुहुँ सविहि अणुओगु ॥
[२०२१]
अह सुगीवह घरि समागंतु वसुदेवु कुऊहलिण सीस-भावु तमु संपवज्जिवि । नीसेस-कलालउ वि अ-मुणिरत्तु अप्पुणु हु पयडिवि ॥ अणु-दियहु विगंधव्व-कल अवहिउ अब्भस्सेइ । तहं चट्टहं मज्झ-ट्टियउ न-उ अप्पउं पयडेइ ॥
[२०२२]
किर न-याणहुं वीण-गुण-ताललय-मुच्छा-ठाणगहं मज्झि किं-पि इय संपयासिरु । तणु-तंतिं आहणिरु मूलदेसि वीण वि अ-वाइरु ॥ तयणु जडो त्ति विचिंतिउण अवहीलियउ गुरूहिं । तह परिणेसइ इहु जि पर तरुणि स इय भणिरेहि ॥
[२०२३]
हसिउ चट्टिहिं वहु-पयारेहिं अणुओग-दिणम्मि पुणु कीलणत्थु वर-कुसुम-वासिउ । ठिउ मंदिरि वणि-वरह महरिहम्मि आसणि निवेसिउ ॥ एत्थंतरि थिरु चंकमिर रूविण रइ विहसंत । सा तहिं आगय ससि-वयणि तरुणहं हियव हरंत ॥ २०२०. ३. क. समक्खु हि. २०२१. २ क. वसुदेव; ४ क. कलालओ.
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