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________________ २०११ ] नवमभवि हरिवंसवष्तंतु [२००६] नियय - दोसिहिं चैव विहगु व्व सु-नियंतिवि मंदिरह अह किं-चि स-विब्भमिण वसुदेवह कहमवि कहिउ एग - देसि मुक्को सि छउमिण । तेण पुट्ठ सा तयणु दासिण ॥ पुव्व-उत्तु वुत्तंतु । ता लज्जहं अहिमाणिण वि कुमरु किं-चि तूरंतु ॥ [२००७] ase - वेसण घरह नीहरिवि परिवंचिय- इयर - जण - सोरियपुर-नर-हि जोपुर-सविहिहिं चिह्न रवि मडगु एगु आणे । हिउण गोउर-थंभियहं अक्खर - पंति लिइ ॥ नयण - मग्गु वसुदेवु रयणिहि । गंतुक मेलिविस पाणिहिं ॥ जहा -- [२००८] निमुणेइ जस्स दोसो लोयाओ गुरुयणो वि सो पुरसो । उप्पाइय-गुरु- दुक्खो कह जीवइ विगय-गुण-जीवो ॥ [२००९] किं तेण सु-सीलेण वि किं वा गुणवंतएण वि नरेण । जस्स विरज्जइ लोओ जायइ दुक्खं च पियराण ॥ Jain Education International 2010_05 [२०१०] इच्चाइ भाविऊणं चियाए एयाए अज्ज वसुदेवो । पंचतं संपत्तो मय- किच्चं तस्स कायव्वं ॥ [२०११] इय लिहेविणु निसि गमावेवि एगत्थ-देवउलियहं गोसि चलिउ कमसो य पत्तउ । सिरि- विजयखेड पुरि तर्हि सुगीव - नरवरिण वृत्तउ || बहु-पडिवत्ति करेवि जह परिणह भद्द इमाउ । मह धूयउ गुण-मणि- निहिउ साम - विजयसेणाउ ॥ २०११. ७. क. इयाओ; ८. क. मिहिओ; ९. क. सेणाओ. For Private & Personal Use Only ४५५ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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