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________________ [ १९८४ नेमिनाहचरिउ [१९८४] जाव खग्गिण हणिवि दो-खंड तसु कंसह कुणइ सिरु ताव चाव-कट्ठिय-विमुक्किण । वसुदेविण दुह विहिउ सत्तु-खग्गु निहणिवि खुरुप्पिण ॥ ता संपाविय-अवसरिण कंसिण वलिउ वि सत्तु । वंधिवि वसुदेवह पुरउ मुक्कु स-गव्व-विउत्तु ॥ [१९८५] तयणु जायव जाय-संतोस सिरि-सोरिय-पुरि नयरि पत्त स-चल ता समुदविजइण । अहिणंदिउ वहु-विहिहिं लहुय-बंधु वसुदेव-पमुइण ॥ काराविउ वद्धावणउं निय-नयरम्मि समग्गि । जायइ तारिस-रिउ-विजइ तुइ जायव-वग्गि ॥ [१९८६] ता करेप्पिणु पासि वसुदेवु जरसंघह सम्मुहउ समुदविजय-नरनाहु चलियउ । जा ताव निमित्तिएण कोठुइगिण इहु निवइ भणियउ ॥ जह - तुहउ जरसंध-निवु देसइ वसुदेवस्सु । धुवु निय-कन्नय जीवजस सा उ न मुहय अवस्सु ॥ [१९८७] __ पढमु करिहइ मरणु दइयस्सु ता जणय-सहोयरहं तयणु तासु सयलह स-वंसह । वसुदेवह सयलु इहु रहि कहेइ निवु तयणु कंसह ॥ दाविज्जउ धुवु जीवजस इय मंतणउं करेवि । समुदविजउ अत्थाणियहं स-परिवार निवसेवि ॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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