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१९८३]
नवमभवि हरिवंसवुत्तंतु
[१९८० __ ता खणद्धिण सीहरह-उवरि वहु-परियण-परियरिउ समुदविजय-नरनाहु चलियउ । वसुदेविण अह पइहि पडिवि कंस-सहिएण भणियउ ॥ नणु कुवियहं तुम्हहं पुरउ केत्तिय-मेत्तु सु सत्तु । तुह वयणिण अम्हे वि लहु आणउं एत्थ निरुत्तु ॥
[१९८१]
अह नरिदिण गरुय-निव्वंधि आणत्त पत्थुय-विहिहिं पउर-वलिण वसुदेव-कंसय । अक्खंड-पयाणइहिं वे-वि नियय-कुल-कमल-हंसय ॥ रण-रस-पुलयंचिय-तणुहिं सुहड-सइहिं संजुत्त । सीहरहह तसु नरवइहि देसासन्नि पहुत्त ॥
[१९८२]
तयणु निय-चर-चयण-विन्नायनीसेस-वइयरु रिउ वि गरुय-दप्पु तह समुहु चलियउ । वसुदेवु वि कंस-परियरिउ तस्सु रण-महिहिं मिलियउ ॥ तयणंतर कुंजर करिहि रहिय पुणो रहिएहिं । तुरय तुरंगिहि भड भडिहिं जुडिय स-पहु-वयणेहिं ॥
[१९८३]
एत्थ-अंतरि असम-पसरंतरोसारुण-लोयणिण सारहित्तु परिहरिवि कंसिण । संचुन्निउ सीहरह- रहु गयाए रणि ता अमरिसिण ॥ विज्जुज्जल रिउ-दप्प-हरु करि करवाल धरेवि । धावइ वेगिण सीहरहु कंसु स-लक्खु करेवि ॥ १९८०. ६. क. पुरओ. १९८१. ७. क. संजुत्तु.
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