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१९९३ ]
नवमभवि हरिवंसवुत्तंतु [१९८८]
भणइ-निसुणहु तुब्भि नरवरहु कंसेण ता सीहरहु गहिवि समर-धरणीए वद्धउ । जरसंघ-निवो वि इहु वणि-सुउ त्ति जाणिवि पसिद्धउ ॥ जइ निय-कन्नय जीवजस कहमवि न पयच्छेज्ज । ता तमु पुरउ महा-निवह इहु जणु किमु जंपेज्ज ॥
[१९८९]
तयणु पभणहिं इयर स-वियक्क नणु देव न वणि-सुयहं हवइ एह सारीर-चंगिम । सरत्तणु एहु न य न-वि य एह विन्नाण-वढिम ॥ ता केणावि हु खत्तिइण कंसिण धुवु भवियव्यु । इय उवउत्त-परिण मणिण सामिण इहु मुणियव्वु ॥
[१९९०] ___ अह सुभद्दय-वणिउ तत्थेव सदाविवि नरवरिण पुठ्ठ कंस-पुव्विल्ल-वइयरु । तयणंतरु अ-च्छलिउ मग्गिऊण साहेइ वणि-वरु ॥ ता मंजूस नराहिविण तत्थ वि आणावेवि । अवलोइय सह परियणिण जा ता तत्थ निएवि ॥
[१९९१] सिरि-उग्गसेग-नरवइ-धारिणि-नामंकियाओ मुद्दाओ।
तह भुज्ज-खंडमेगं गाहा-जुयलेण संजुत्तं ॥ तद् यथा[१९९२] सिरि-उग्गसेण-नरवइ-भज्जाए गब्भ-दोहलो दुट्टो ।
संजाओ लीलाए तत्तो पइ-पाण-रक्खट्टा ॥ [१९९३] कसिय-मंजूसाए खिविओ रयणाइ-संजुओ एसो।
जउणा-नईए सलिले पवाहिओ जणय-अहिओ ति ॥ १९८८. ६. क. मिय. १९८९. ८. क. उपसलय; ख. 'यरिण.
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