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________________ ६६० नेमिनाrafts [२९६०] अe tius hor सासंकु न बंधव नियय- वलु दक्खवेसु मह वाहु- जुज्झिण । ता विहसिवि नेमि पहु भणइ वयण जुज्झिण वज्जिण ॥ जुज्जइ जुज्झिर उत्तिमहं अह जइ तुह निव्बंधु । तानामिव मह वाम-भुय भमहि स-उद्धर - खंधु ॥ [२९६१] तयणु नेमिण वाम-भुय-लयह तडवियह महुमहणु अ- तरंतर तरु- सिहरि गणि सुरासुर - खयर-गणचिहिं नेम कुमार वलु स-हरिस अवलोयंत ॥ करिहिं दोहिं चालणह लग्गउ । पवगु जेम्व अच्छs विलग्गउ ॥ तरुणिउ मिलिवि हसंत । Jain Education International 2010_05 [२९६२] तयणु कण्हण नियय-भुय-दंडु asaण धरि अ लीलाइ विनामिउण अह तियसासुर - किन्नरिहिं कुसुमहिं पहुवरि वरिसियउं वाम -पाणि- पल्लविण नेमिण | वलय- रूव किउ असम - तेइण ॥ जक्खिहि गंधव्वेहिं । जय-जय-झुणि-पुव्वेहिं ॥ [२९६३] अह सरेविणु रहिण एगेण धंधोलिउ सयलु वलु मगह - निवह सिरि-नेमि - कुमरिण । वाले विभग्गु हउं जणिउ चुज्जु भुवणह विस-वलिण || इय अ-वियपिण स-भुय-वल- परिणिज्जिय तेलोक्कु । नेमि अद्ध-भरहाहिव विहल महारउं चक्कु ॥ २९६३. ५. क. भुवहण. For Private & Personal Use Only [ २९६० www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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