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नेमिवृत्तंतु
[२९५३] भवणुज्जाण समेया गोउर- पायार- तोरणोवेया । सयहा पुरी न फुट्टा सा देव - विणिम्मिया जेण ॥
[ २९५४ ] तह वि महाभवणंतर - विर्यभिणा तेण संख - सण | महु-मत्त कामिणी इव सा चलिया सव्व-ठाणेसु ॥
[ २९५५] उद्दामा वर तुरया भमंति तुट्टंत-संकला करिणो । भीओ जायव-वग्गो मुच्छा-वियलो जणो जाओ ।।
[२९५६ ] भीओ हरी वि सहसा विगय-मओ लंगली वि संजाओ । संतस्थासेस-भडा गोविंदमुत्राया सरणं ॥
[२९५७] किं अयंडि वि फुट्ट भंड
परिखुहिउ रयण - निहि अह कयंतु कुद्ध भयंकरु | जं दीसइ सयल जगु कंपमाण-तणु खोह - दुद्धरु ॥ अहवा किं कु-वि चक्कवर वारवइहिं उप्पन्नु । जं सुम्मइ इहु संख-खु तइ - लोयह अ-सवन्नु ॥
[२९५८] इय विर्चितिरु गरुय-भय- विहुरु
जा चिह्न कण्हु खगु तसु आउह- सालयह
आगंतूण हरिहि पुरउ नेम - कुमारिण संखु इहु
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ताव विणय-पणमंत अंगिण | पालगेण माणविग एगिग ॥ कहिउ जहा - कीलाए । आऊरिउ लीलाए ||
[२९५९]
तयणु - अरि अरि रूव- रिद्धीए
सोहरिगण लक्खणिहिं वणि भुवणु सयलु वि विसेस |
मज्झ रज्जु सयलु विगसइ ॥ आउह - सालहं गंतु । अ-समु चोज्जु जयस्सु कुणंतु ॥
सिरि-नेमिकुमारु इय इय चिंतंत महुमहणु dras जय - सामि
२९५७. १. क. फुडु.
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