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________________ ६५४ [ २९३३ नेमिनाहचरिउ [२९३३] पउमनाभु वि भणइ - नणु हंत सो चंदु दिवायरु व वासवु ब्व चक्कि व कयंतु व । जो मग्गइ मह दइय स-चल-पत्त अ-मुणंत-तत्तु व ॥ अहवा अज्ज-वि वलिवि इहु निय-ठाणह गच्छेउ । मा मह कोवानलि पडिवि स-बलु वि हरि डज्झेउ ॥ [२९३४] एहु वइयरु हरिहि साहेइ लहु दारुगु आविउण तयणु हरिण आणत्त पंडव । पविसंति संगर-महिहिं असम-महिम-भुय-दंड-मंडव ॥ पउमनाभ-नरवरिण सह स-चलिण किंतु खणेण । नासिवि पविसिवि निय-पुरिहिं मज्झि निउत्त-जणेण ॥ [२९३५] पिहिय सयलि वि पुरिहि दाराई तयणतरु केसविण फुरिय-गरुय-अमरिसिण तक्खणि । मिल्लेविणु रह-रयणु पय-भरेण अक्कमिय मेइणि ॥ आगच्छंतिण पुरि-समुहु तह जह पडिय गिहाई । अद्यालय खडहडिय जलनिहि-जल झलहलियाई ॥ [२९३६] इय निरिक्खिवि धरणि कंपंत पय-दद्दर-पडिरविण खुहिय-चित्तु पुर-लोउ सयलु वि । पडिवज्जइ दोवइहि सरणु एत्थ-अंतरि नरिंदु वि ॥ नियवि अयंडि वि उठियउ सयल-पुरिहिं संहारु । तसु दोवइहि महा-सइहि पइहि करिवि नवकारु ॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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