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नेमिनाहचरिउ
[२९०२]
तयणु तम्मि वि ठाणि हरिसेण
सयलेहिं वि जाय विहि आनंदिण. नच्चियउं सिरि-आणंदपुरुत्ति वर
तं जि महा-तित्थु ति इहु घोसिज्ज आ-चंदु ॥
पुरउ जिणह सिरि- नेमिनाee | अह जणेण तसु वसुह-भागह ॥ ना दिन्नु साणंदु ।
[२९०३]
तेसि पुणु जरसंघ - पमुहाहं
सव्वेस व रिउ - निवहं कारावइ जीवजस
हरि पुणु धरहं ति - खंडहं वि सोलस-नरवइ- सहस- जुउ
[२९०४] तेण उ निय-वल- महिमा - उवहसियासेस- सुहड - महिमेण । उच्चत्त-पित्तेहिं जा पिहू पिहू जोयण- पमाणा ॥
मयहं अंत-कायव्वु सयलुवि । तयणु खिवइ चिय चक्कि अप्पुवि ॥ रिउ कुल परिसातु । कोडि - सिलहं संपत्तु ॥
[२९०५] घण-मसिण-विसाल - सिला - कलिया भरहद्ध - देवय- गणेण । जत्थ परिक्खति वलं भरहद्धे साहिए हरिणो ॥
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[२९०६ ] वाम भुयग्गे पढमेण धारिया सा सिरम्मि वीरण । तइएण कंठ-देसे नीय चउत्थेण वच्छयले |
[२९०७] पंचमगेण उ नाही- सविहे छट्ठेण कडिय - पसे । सत्तमगो उण ऊरू जाणू जो नेइ अट्टमगो ॥
[२९०८] सउरि-तणरण हरिणा चत्तारिउ अंगुलाई उक्खित्ता । ओसप्पिणीए पायं वलाई झिज्जंति जं कमसो ॥
[२९०९] ता गयणयले सुर- गण - विज्जाहर - सिद्ध-जक्ख-निवहेहिं । उग्घुट्टो जय-सदो मुक्काओ कुसुम-बुट्टीओ ॥
२९०४. १. क. ओवहसिय.
[ २९०२
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