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इय जहा कि कण्हु कय- किच्चु
तई स-जयावहिण नाह व अम्हे व पसिउण । हत्थु अम्ह पट्टी दाउण ॥
जीवावहि मुर-रिउहु नेमकुमारु वि ते सयल नरवर संभूसेवि । रण-धरणीयल- समुचियउ आडंवरु उज्झेवि ॥
नेमिनाहचरिउ
ता कण्डु सरह - रयणु आलिंगइ नेमि अह तह मगहाहिव - अंगरु
उज्झण सम्मुहु पहाविवि । हत्थु सि दिवाविवि ॥ सहदेव त्ति पसिद्ध ।
रज्जि ठवाविउ रायगिहि नयरि सु-गुणिहिं समिद्धु ॥
इओ य
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तेहिं सहिउ वि चलिउ हरि-समुहु
सो मायलि सारहिउ तं गहिउण रह-रयणु साहेइ य नेमिहि पहुहु तह जह सयलह सुर-गणह
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एत्थ - अंतरि नेमि - कुमरेण
कय-पणामु अणुनविउ संतउ । तियसनाह - सविहम्मि पत्तउ II पुव्वत्तई चरियाई | वियसियाई वयणाई ॥
[२८९७] निरु पट्टिय-वण-चिगिच्छाहं
संजाय - निरुयहं भडहं अत्थाणुवविद सिरि-वच्छ अंकु खयरिंद-रमणिहिं ॥ आणंदण विन्नत्तु जह वद्धाविज्जसि देव || जं सउरिण साहिय खयर तुज्झ पवज्जहिं सेव ॥
सयलहं पि जायवहं सविहिहिं ।
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