SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८८३] कण्हजरसंधविग्गहु ६४३ [२८८०] ___अरिरि वालय मरसि निस्संकु सुमरेसु य इटु कु-वि न-उण अज्ज तुहुं मह विछुट्टसि । पविसंतउ मई वि सह समर-धरहं लज्जहं न फुट्टसि ॥ किह तुहुं मई सहु रणि विसहि जइ-वि हु खरउ पयंडु । अइमत्तो-वि हु हत्थि निउ रक्खइ मुंडा-दंडु ॥ [२८८१] इय भणंतिण मगह-नाहेण पडिसद्द-खोहिय-भुवणु फुरिय-जाल-माला-विहीसणु । सुर-नियराहिट्ठियउं चक्क-रयणु रिउ-तरु-निकंदणु ॥ खोहिय-सनरामर-नियरु हरिहि समुहु परिमुक्कु । तयणंतरु लोगिण विहिउ पुक्कारवु लल्लक्कु ॥ [२८८२] __भीय सुर-गण जक्ख संतत्थ सिद्धा वि पलाण गय दिसिहि खयर-गंधव-किन्नर । जोइसिय वि टलटलिय तियस-तरुणि सिवु सिवु ति जंपिर ॥ कठि विलग्गहि निय-नियय- पियहं करुणु विलवंत । एंतु तं पेक्खहिं जायव वि अंसु-पवाहु मुयंत ॥ [२८८३] कण्हु पुणु तहिं चक्क-रयणस्सु समुर्वितह सम्मुहई मुयइ दिव्य-आउहई विविहई । नीलंवरु परिखिवइ सावलेवु हल-मुसल-सत्थई ॥ पत्थु सवत्थ-विमुक्खणउं धम्मह नंदणु सत्ति । सेणाणी वि महा-फरिह भीम महा-गय झत्ति ॥ २८८१. ९. क. फुक्कारवु ललक्कु. २८८२. ३. क. खय; ख. यखर; १. जोइसिर. २८८३. १. तहि. ६. सवत्थु. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy