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________________ नेमिनाहचरिउ [१९६८] अहह सचिवहु जुत्तु जुत्तु त्ति परिजंपिरु धरणिवइ अंधयारि धारिणि निवेसिवि । वाहरिवि महाण सिय स-तणु-उवरि छग-मंस ठाविवि ॥ अणुमन्नइ पत्थुय-विसइ ता सिक्कार-परस्सु । उग्गसेण-चमुहाहिवह अइ-करुमउं रसिरस्सु ॥ [१९६९] उवरि-देसहु मंस-खंडाई छग-संतिय खंडिउण निव-निउत्त धारिणिहि वियरहिं । इयरी वि-हु नरवइहि मंस-खंड एहि त्ति वुद्धिहि ॥ उवभुजइ परितुट्ठ-मण गब्भह अणुभावेण । अह परिपूरिय-दोहळय हूय स स-सहावेण ॥ [१९७०] दिहि-मग्गह निवि वि अइकंति उवसंतइ करुण रवि मउ निधु त्ति चिंतत धारिणि । रइ न लहइ विलवइ य अहह ह जि पिय-खयह कारिणि । इय निय-दुक्खई कसु कहउं को करिहइ उवयारु । मह वेरीण वि मा हवउ एरिसु गब्भु अ-सारु ।। [१९७१] गम्भ-साडण-हेउ विविहाई पीयंतिहि ओसहई सत्तमम्मि दियहम्मि मुहयरु । किउ सज्जउ वहु-विहिहिं इय भणेउ दंसियउ नरवरु ॥ जो मह कसिण-चउद्दिसिहि तिहिहिं मूल-रिक्खम्मि । विहिहिं जायउ पाव-सुउ दिणि कय-बहु-दुक्खम्मि । १९७१. ८. विद्धिहिं. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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