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१९६७ ]
नवमभवि हरिवंसवुत्तंतु
[१९६४]
मह पहाविण अवर-जम्मे वि इय पद्ध-नियाण-विहि अवगणेवि मुक्कउ नरिंदिण । ता मरिउण धारिणिहि पियह निवह तमु पुक्त-भाविण ॥ अवइन्नउ कुक्खिहि खवगु ता तमु अणुहावेण । जायउ देविहि दोहलउ दुट्ठ-विवागु फलेण ॥
[१९६५]
तयणु धारिणि कसिण-पक्खम्मि ससि-रेह व पइ-दियहु झिज्जमाण-सव्वंगुवंगिय । तयणु कारणु पुट्ट नरवरिण कणय-दव-गोर-अंगिय ॥ अह दीहर-नीसास-भर- परिसुसंत-वयणिल्ल । कह-कहमचि धारिणि कहइ निवह दुहई नियइल्ल ॥
[१९६६]
देव जाणहुँ जइ तुहंगस्सु उक्कत्तिवि परिगलिर- रुहिर-मंस-खंडाइं भक्खहुं । इय एरिसु दोहलउ निय-मुहेण तुह केम्व अक्खहुं ॥ तयणंतर नरवइ भणइ सुयणु म खेउ करेसि । हउं तुहु पूरिसु दोहलउ सुय-मुह-कमलह रेसि ॥
[१९६७]
अवर-अवसरि सचिव मेलेवि तहं धारिणि-दोहलउ रहि कहेइ नरवइ स-मूलु वि । ता निवइहि सचिव-गणु कहइ एग-वक्केण सयलु वि ॥ जह - गिह-अब्भंतरि हविवि निय-तणु उवरि ठवेवि। देविहि पूरसु दोहलउ छग-मसई वियरेवि ॥ १९६६. ८. क. तुहुं.
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