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________________ नेमिनाearts [२८२४] अह सुजवणह मरणु निमुणेवि दीणा [] अमरिसिउ मगह नाहु सयमवि समुट्ठिउ । तसु घाइहि जज्जरियअंगुवंगु अइरिण वि विहुरिउ || चुण्णिय-रहरु निय-करि महि- निवडंत-तुरंगु । करुणु-रुयंत-मरंत-भडु हुउ हरिवल चउरंग ॥ ६३० अवि य [ २८२५] विमुक्क-पवर जाणयं गलंत - खग्ग- हत्थयं pdate [ २८२६] विमुक्क- धीर-धीरयं लुलंत - छत्त-चिंधयं [ २८२७] स सामिणो विरत्तयं मत्तेभ - संपणुल्लियं [ २८२८] भयालु उज्झियत्थयं अन्नोन्न - पेल्लज्जयं [ २८२९] मगहेस- वाण ताडियं संजाय - सावसेसयं समुज्झियाभिमाणयं । निवडत - सुहड- सत्यं ॥ विमग्गमाण- नीरयं । नच्चंत भड - कवंधयं ॥ पलायणेक्क- चित्तयं । तुरंग थट्ट- पेल्लियं ॥ रहोह - रुद्ध-पंथयं । पलाण भीरु वग्गयं ॥ Jain Education International 2010_05 संगाम - भूमि- पाडियं । विमुक्क- जीवियासयं ॥ [ २८३०] इय विहुरियम्मि सेन्ने एक्को च्चिय भुवण - लग्गण- क्खंभो । दिव्व रहेणं चि अ-गंजिओ नेमि - कुमर भडो ॥ [२८३१] अह खर्णाद्विण सेन्तु सयले पि जर संघ- नराहिविण ता दाहिण -करिण हरि जंपर जरसंघह पुरउ सुरु निवाह तुह जणिण २८२४. २. क. ख. दीणाणु. २८३१. ६. क. पुरउ omitted. स-य-वणि दिसि मुहु जुवाविउ । नियय-धणुहु लीलई चडाविउ ॥ फुरिय- दप्प-दछु । जय-जय-खु उग्घुट्टु ॥ [ २८२४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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