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________________ ६२८ नेमिनाeafte [ २८१६] नेम - कुमरिण वावरतेण पुणु पुणु व महारहिहिं नच्चावि तह कह - वि जह जस - पडह - पडिरविण भग्ग-मडप्फरु रिउ-गणु वि स -पहुहु पुरउ भणेइ ॥ सह निवेहिं भगदत्त - पमुहिहिं । कित्ति-रमणि संगाम- धरणिहिं ॥ सह नज्ज-वि विरमेइ । [ २८१७] अह सामि रक्खि रक्खेहि Jain Education International 2010_05 निक्कारण - कोवियउ विच्छाय रिउहु पह वियर गुरुहु - वंधवह ता न इमिण रुट्टिण हवइ जीविउ कसु-वि अवस्सु ॥ नेमि - कुमरु छड्डइ न किं-चिवि । दलइ दप्पु जय - सिरि वि संचिवि ॥ वासुदेव-नामस्तु | [२८१८] तयणु सेणाहिव - हिरण्णाभ अणुवलद्ध-संखहं रणंगणि । मुहाण नराविहं निसुविणु मरणु जरसंधु निवइ झूरेइ निय-मणि ॥ सिसुपालह सविहम्मि पुणु भणइ - किह णु भवियव्वु । दीस रिउ - कुलु गरुय - वलु इय धुवु मई मरियव्वु ॥ [२८१९] तणु धीरिम करिव सिसुपाल साडोवु समुल्लवइ जइ भग्गउं तुम्ह वलु ता किं कीरउ ज न जगि वि कु-वि वलियउ देवस्तु । तह - वि हु नूण न सप्पुरि कमवि हवइ निरासु ॥ देव किमिह तुम्ह विसाइण । एम्व तेण सिरि-नेमिना हिण ॥ २८१६. २. क. महारहिं. २८१९. ४. क. भग्गउ. ५. क. एवं ८. क. नूण सप्पुरिसु. For Private & Personal Use Only [ २८१६ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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