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________________ नेमिनाहचरिउ [२८०४ [२८०८] तयणु हरिसिण दिव्व-संठाणु दिव्वाउह-पूरियउं मज्झि दिव्व-कय-सीह-आसणु । मण-इच्छिय-पह गमिरु पत्त-पसरु पडिवक्ख-नासणु ॥ दिव्व-तुरंगमु रह-रयणु वेउविउण खगेण । सुरवइ-सारहि पहु-पुरउ पत्तु पवण-वेगेण ॥ [२८०९] भणइ पुणु जह - नाह आरुहिवि रह-रयणि इमम्मि लहु दलसु सयल-रिउ-कुल-मडप्फरु । ता नेमि-कुमारु चिर- विहिय-सुकय-अहरिय-पुरंदरु ॥ तहिं रह-रयणि समारुहइ निरुवम-कय-सिंगारु । तयणंतरु हरि हलहरु वि जायव-नरवइ-सारु ॥ [२८१०] चक्क-वृहिण समुहु इंतस्सु जरसंघ-निवइ-वलह ते-वि गरुड-चूहेण जायव । परिसज्जिय-विउल-बल मिलिय समरि नय-कप्प-पायव ॥ ता दोण्ह-वि निव-पुंगवहं जुडिय सुहड सुहडे हिं । कुंजर करिहिं तुरय हइहिं रहिय पुणो रहिएहि ॥ [२८११] अह खणद्धिण किं-चि जरसंधनिव-सेन्निण कण्ह-वल दलिय-दप्पु दिसि-मुहु जुयाविउ । एत्थंतरि हरि-पुरउ भणइ मुसलि नय-मग्ग-भाविउ ॥ रिउ-चक्क-व्वूहेण इहु वास-सए वि अ-जेउ । ता कीरउ केण वि विहिण एय-निजूहह भेउ ॥ २८१०. ९. क. रहिएहि, ख. रहिएंहिं ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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