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२८०७ ]
सविहम्मि पर्यपिउण म दिन्नु तेवड्डु परि इय चिंतिवि रण - रंग - भरि जह अप्पsिहय-तेय भरु
[ २८०४]
नेमि - कुमरह मुसलि सहियस्सु
susजर संधविग्गहु
वसुदेविण खयर - रिउ परिविणु वि विविह तहं अह नहयर-वल-आउलियहरिआरयणिहिं आगयउ
वच्छ कण्डु तुम्हाण नासउ । हु जेवss करिसउ ॥
[ २८०५]
एगंतिण गहिउ पुणु तयiतरु नहयल - पहिण गयउ सउरि वेयट्ठि निय
एहु सामिण नेमि - कुमरेण उवरोहिण किं-चि पडिवन्नु किं-चि निय-वंधु - नेहिण | मुसलि - पमुह-जायव- समूहिण ॥ सिरि-जायव-कुल- केउ । भुय-वल- वलिण समेउ ॥
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हो
तह कहमवि-हु जइज्ज । हरि रिउ - लच्छि लहेज्ज ||
[२८०६]
[ तयणु अइरिण सुकय-जोगेण
रणि जिउ किय- अप्प-वस-गय । धूय गरुय अणुराय -रत्तय ॥ नहयल-पहु वसुदेवु । महि - नहयर-कय-सेबु ॥ ]
[ २८०७]
नेमि - कुमरिण वद्ध पुणु वाह सुर-सिहरिहिं सुर-गणिण अह असत्थवहग त्ति तूलिय ।
तियसेहिं विइन्न जयवंधु - सिणि सामि- मणु सक्किण मायलि सारहिउ
पहुहु एत्थ - अंतरि वियाणिय || रण- विहाणि सुक्कंठु । पेसिउ समर-वरि
॥
२८०६. This stanza is erased in क
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