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________________ २७७२ ] नवमभवि कण्हजरसंधविग्गहु [२७६९] aणु चारिहिं कहिउ जरसंघ - निव-आगमु सन्निहिउ अहिसित्तउ कण्हु रणपत्थाणt ठिउ कंस - रिउ for-for-aor हरिहि मिलिय वियसिय-मुह-अरविंद ॥ [२७७०] सीयल - सुरहि- अणुकूल तय पवणाइइ-अणेगविहनिग्गच्छइ वारवइगंतु दिसिहं yogत्तरहं हरि जोयण पन्नास । सियल्लीए पसि परिगिण्हइ खणु आवास ॥ तास-तो जायवहं वग्गण । विजय- हेउ सुपसत्थ-लग्गिण || इयर व विवि-नरिंद | Jain Education International 2010_05 अणुकमिण पलोइउण पवर - सउण - सूइय- सुहोदउ । पुरिहि समुदविजयाइ - सहियउ ॥ [२७७१] तयणु पिहु-पि नियय- नरनाह कुrs तेसि सक्करु सयलहं । अह भणिउ अहिणि सन्निहाणि हरि-चलण - कमलहं || जह - चउ-जोयण - अंतरिण तुम्ह उवरि कोवंधु । चिgs वहु-चल-परिकलिउ नरवइ सु जरासंधु ॥ उades मित्तयणु परिओ व मुणिदेव- गुरूण अवन्नयरु दुम्मुहु दुम्मण दुस्सुइउ २७७०. ५. क. समुदविजयइ. [२७७२] किंतु अ-पर वि बंधु अवगणइ कुवइ पगइ - लोग अ-कारणु । जणि वि तवइ अ- निमित्त सज्जणु ॥ अवसु सचिव- तिलयाहं । उव्वियणिज्जु भडाहं ॥ For Private & Personal Use Only ६१९ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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