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नेमिनाहचरिउ
[२०५७] भहिं वणियग - अहह संसारि
निभग्गिय अम्हि पर जं समिद्ध-जायव - विहूसिय । वित्त इह स-कय-दूसिय ॥
aras महा-नयरि
को उज्झिवि जायव - कुमर अम्हई इच्छिउ दे । संखु वि विणु रयणायरह सदुहउं किं न रुएइ ॥
[२७५८ ] अछहिं बहु व महिहिं नर-राय
निय - रज्ज-गव्वब्भहिय
नउ जायव - निव- सरिस
कुहिं समीहिय सिद्धि तहं सिर- विरइय-कर-कोस । सेवेहिं अणु-दिणु पय-पउम पसरिय-गुरु-संतोस ॥
स-घरि परहं अवमाण पयडिर । जेसि पहिं सुर-असुर निवडिर ||
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[२७५९]
इय सुविणु जाय- आसंक
आउच्छर जीवजस इयरे विपुलवि
तयणतरु संभंत - मुह
ल्हसिय- चिहुर-वंधण स- दुह- पसरिय- गरुय - पलाव ॥
कह कह कहिं अछहिं जायव । सयल कहहिं निय- हत्थ - गयमिव ॥ वियलिय - कंति-कलाव ।
[२७६०]
गंतु वेगिण पडिर अक्खुडिर
जरसंघ- नराविह साहेइ विसेसयरु अमरिस-वस-कंपिर-अहरु रोसारुण - नयणिल्लु ।
सूरसेण- सेणावि
agrat नियइल्लु ॥
कण्ह-मुसलि - वारवइ - वइयरु |
तह कह - वि जह सो वि नरवरु ॥
२७५७. क. भणइ.
२७५८. क. महिंठि; ६. क. समीहिंय
[ २७५७
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