SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 184
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २७४४] नवमभधि पज्जुन्नधरिउ [२७३७] ता मोणं अवलंविय थक्को कण्होऽवरम्मि दिणम्मि । सच्चाए निव्वंधे जंववई पभणिया हरिणा ॥ [२७३८] अज्जेव गहेउ सुयं आवासे लेसु नयरि वहियाए । सच्चाए वा गहिओ पुरीए पविसेइ जइ संवो ॥ [२७३९] अह सा संवेण समं गंतूण ठिया पुरीए उज्जाणे । पज्जुन्नेण य दिन्ना पन्नत्ती संव-कुमरस्स ॥ [२७४०] एत्तो उण सच्चाए पारद्धो भीरु-कुमर-वीवाहो । सयमेगूणं मिलियं विलयाणमिओ य संवेण ॥ [२७४१] पन्नत्ति-पहावेणं विउविउं तरुणि-रूवमप्पाणं । निवई-निव-परिवारो कडय-निवेसो य विहिओ ॥ [२७४२] दासि-चयणिण एहु सुणिऊण आगंतु सयमेव तहिं तरुणि-रयणु निव-पुरउ मग्गइ । निवई वि-हु भणइ – जइ इमह हत्थि तुह तणउ लग्गइ ॥ इयरीओ उ इमीए करि लग्गहिं ता गिण्हेसु । सच्च वि वियसिय-मुह-कमल जंपइ - इहु वि करेसु ॥ [२७४३] __ अह सयं पि-हु गहिवि वाहाए । सच्चाए आणिय तरुणि तम्मि विउलि वीवाह-मंडवि । सन्निहियइ लग्गि निव- भणिय-विहिण सुय-पाणि-पल्लवि ॥ लग्गाविय अह सा भणइ सच्चा-बक्खिउ लोउ । नियउ तरुणि मई संवु पुणु अवलोयउ इयरो उ ॥ [२७४४] अह वित्तम्मि विवाहे वियरिजंते चउत्थ-मंडलए । ___ संवो सहाव-रूवो भेसिय निद्धाडए भीरु ॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy