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नेमिनाहचरिउ
[ २७३३ [२७३३] ___ हरि वि पभणइ जंववइ-सविहि नणु सुयणु तुहंगरुहु न मुह-सीलु ता सिक्खविज्जसु । इयरी वि भणेइ - मह तणउ अहिउ मुणिहिं वि मुणिज्जसु ॥ तयणु परिक्खह हेउ तसु हरि आहीरत्तेण । आहीरी-रूवेण पुणु जंववइ वि सह तेण ॥
[२७३४]
गोस-अवसरि तक्क-दहि-दुद्धभंडाई गहेउ सिरि- वारवइहि मज्झम्मि पविसई । जा ताव संवेण - नणु एहि एहि किर णेमि एयई ॥ इय जंपतिण करि धरिवि देवउलह मज्झम्मि । हढिण पवेसिय मयहरिय ता गय-संक मणम्मि ॥
[२७३५]
ईसि विहसिवि जंववइ-रूवु अवलंवइ मयहरु वि धरइ रूवु केसवह अइरिण । संवो वि लज्जिरु गयउ पिहिय-वयणु वत्थेग-देसिण ॥ लज्जावसिण य हरिहि निय- मुहु दंसेउमसत्तु । अत्थाणम्मि न पविसरइ जंववइहि सो पुत्तु ॥
[२७३६]
अवर-वासरि कह-वि पज्जुन्नउवरोहिण आगयउ खयर-कीलु घडमाणु छुरियहं । ता पुच्छिउ हरिण - नणु किं करेसि खायर-सलायहं ॥ अह लहु संवु समुल्लवइ जो वासिउ भणिहेइ । तहि मुहि जंववईए सुउ इहु कीलउ खिविहेइ ॥
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