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________________ ६०३ २६९२ ] नवमभवि पज्जुघ्नचरिउ [२६८८] किं पुण खणेण हरि-नंदणेण सुहडा हया अ-पज्जंता । __ संवर-पुरो य भणियं - जणय तुमं दिहिमवमुयसु ॥ [२६८९] ता कुमर-चरियमिगिय-आगारेहिं मुणेउ विमलं ति । नाउं च मूल-सुद्धिं कुमारमुववूहए इयरो ॥ [२६९०] एत्थ-अंतरि कुमर-सविहम्मि आगंतु नारउ भणइ कुसलु तुज्झ हरिवंस-भूसण । ता संवरु विहिय-पडिवत्ति वयइ - मह कहि निरंजण ॥ को पच्छिमु वइयरु इमह अह पुव्वुत्तु कहेउ । जंपइ नारय-रिसि वयणु अग्गिमु वइयरु एउ ॥ जहा [२६९१] कुमरि तियसिण तेण हरियम्मि सच्चाए वि जाउ सुउ तस्सु नामु भाणु त्ति दिन्नउं । संपइ तमु परिणयण- विहि समत्थि पारद्धमन्नउं ॥ करिहइ रुप्पिणि-कुंतलिहि सच्च दब्भ-कम्माइं । जहुचिउ कुणउ कुमारु लहु इयरिण भणियई काई ॥ तो य [२६९२] अभउ दाविवि कणयमालाए अणुजाणाविवि जणउ खयर-वग्गु सयलु वि खमाविवि । आरुहिवि विउव्वियइ वर-विमाणि नहयलिण आविवि ॥ वारवइहि नयरिहि उवरि नारय-पुरउ भणेइ । नाणिण खणु पेक्खेज्ज तुडं किंचि ज डिंभु करेइ ॥ २६८९. २. क. कुमार. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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