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नेमिनाहचरिउ
[ २६९३ [२६९३]
तह पवन्नइ रिसिण कुमरो वि कय-वुड्ढ-दिय-रूवु लहु पत्तु सच्चहामाए सविहिहिं । ता खुज्ज-कुरूव-तणु चेडि एग तिण हणिय पट्टिहिं ॥ खण-मेत्तेण य सरल-तणु तविय-कणय-गोरंग ।
सच्चह पेक्खतिहि वि हुय चेडि चारु-सव्वंग ॥ [२६९४] सच्चविय तं च सच्चा पयंपए - विप्प मह वि पसिऊण ।
रूप्पिणि-रूवाओ अहिययरं रूव-स्सिरि कुणसु ॥ [२६९५] तो भणइ वंभणो - नणु साहाविय-रूव-संपया तं सि ।
रूवं हवइ विरूवे जह जायं तुज्झ दासीए॥ [२६९६] इय जइ विसेस-रूवं महसि तओ कुणमु सीस-मुंडणयं ।
जर-डंडि-खंड-वसणा वीभच्छ-तणू य हवसु लहु ॥
__"उरडू पुरडू ॐ नमः स्वाहा" [२६९७] एयं च महा-मंतं गेह-दुवार-ट्ठिया झियाएमु ।
पहर-पमाणं कालं तह दावसु भोयणं मज्झ ॥ [२६९८] अह भोइए भणेउं - इच्छियमेयस्स भोयणं देह ।
सयमवि जहुत्त-विहिणा लग्गा मंतं झियाएउं ॥ [२६९९] वियरंति सूययारा जं जं तं तं दिओ वि भुंजेइ । किं वहुणा भोज्ज-विहिं सयलं पि-हु तत्थ निट्ठविउं ॥
[२७००]
हंत न तरह दाउ भोयणु वि एगस्स वि वंभणह इय भणेउ खुड्डलय-रूविण । सो पत्तउ रुप्पिणिहि भवणि थुणिउ तीए वि भत्तिण ॥ अह चेल्लणु भणइ-मई]किउ तवु सोलस-वरिसाइं । ता किं-चि वि वियरेसु लहु मह वंदेवई काई ॥ After २६९६. क. उरुडू. २७००. १. क. भोउ भोयणु.
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