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________________ २६६९] नवमभवि पज्जुन्नचरिउ [२६६२] अइर-कालिण डिंभ-सय सहिउ परिउज्झिय-रज्ज-सिरि चत्त-लज्ज-मज्जाय-वइयरु । रय-पसरिण धूसरिय- अंगुवंगु परिगलिय-अंवरु ॥ महिहिं भमंतउ विहि-वसिण उसहपुरग्मि पहुत्तु । चंदाभे तुहूं कहिं गइय इय विलविरु पुणरुत्तु ॥ [२६६३] महु-नरिदिण दिख स-पिएण वायायण-संठिइण तयणु जाय-गुरु-पच्छुताविण । धिसि विसम-दसाए इहु खिविउ किमिह मई पावकारिण ॥ अहवा एयह चंदपह अप्पिसु कय-सक्कारु । जिह जायइ पिय-दंसणिण इहु गय-दुह-वावारु ॥ [२६६४] पडिवज्जिसमहं पुण पायच्छित्तं गुरूण पय-मूले । अन्नह भवंतरम्मि वि इमस्स पावस्स नो मोक्खो ॥ [२६६५] विसय-सुहासत्ता उण अवुहा न मुणंति कह-वि कज्ज-गई । नियइ विराली दुद्धं फिरंतयं उवरि नउ लउडं ॥ [२६६६] छिंदंति विवेय-धणा विवेय-सत्थेण विसय-विस-तरुणो । इय चिंतंतस्स वि से वज्जग्गी निवडिया उवरि ॥ [२६६७] अह सो तम्मि वि जम्मे अवलोइय-सुकय-दुक्कय-विवागो । भावण-विसेस-पाविय-सुकय-भरो झत्ति मरिऊणं ॥ [२६६८] आरण-कप्पे पुप्फावयंस-नामम्मि उत्तिम-विमाणे । __ इगवीस-सागराऊ महिड्ढि-तियसत्तणं पत्तो ॥ [२६६९] तत्तो चुओ समाणो रुप्पिणि-कण्हाण गंदणो जाओ । तह चेव य चिलुतो मरिऊणं विस्ससेणो वि ॥ २६६६. २, क. विज्जग्गी. ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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