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________________ नेमिनाहचरिउ [२६०५] आवट्ट - कुसट्टा सूरसेण- पमुहाण सयल- विसयाणं । आगंतु जणो निवसइ तीए पुरीए निमुय - कित्ती ॥ ५८६ [२६०६] ave - हलहर - पमुह जायव वि अच्चंत - पहि-मण अवाहहिं कालु कु - वि इयरो विहु कंच - घडियस - विवि निज्जिय - वेसमणु वालो वि अ-वाल- मणु थुब्वंतु सुरासुरिहिं कइया - वि-हु छज्जइ सुरिहिं संझ - राय परिपिंजरिउ [२६०७] भुवण-बंधु विरि-वर - नेमि कीलमाण वहुविह विणोइहिं । दूर-पहिण उज्झिय-विसाइहिं ॥ घर - पंतिसु जह-जोग्गु । विलसइ जायव-वग्गु ॥ नं अंजणगिरि - सिलहं Jain Education International 2010_05 तोसमाणु सयलो वि जय-जणु । जयह सग्ग- अपवग्ग-पयडणु ॥ घुसिण - विलेविय - देहु | नाव सामल मेहु || [२६०८] सहइ उरयलि हारु निक्खित्तु परिघुलंतु सु-महल्ल निज्झरु । सोहु सहर पहु नं पुरंदरु ॥ बन्नहुं थोव - गुणेहिं । मणि - कुंडल-जुयल-कयअहवा जं जमणंत-गुणु तर्हि तर्हि अप्पु जि नडउं हउं कित्तिम कइ वयणेहिं ॥ [२६०९] भुवण-समहिय देह माहप्पु जय - उत्तिम कंति-धरु पणमंत चिंतारयणु rea कमन्नि निय-गुणिहिं तह भुवणोवरि थक्कु । नेम - कुमरु जह वन्नणिण तमु सक्को विअ सक्कु ॥ २६०६, ८. बिह [ २६०५ असम-सुकय-निहि नाण-दिणयरु । भव-समुद-वोत्थुि सुंदरु | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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