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________________ ५८४ नेमिनाहचरिउ [२५८९ [२५८९] पंचविह-रयण-मइओ बहु-जंत-निवेस-कय-महादुग्गो । कविसीसय-सय-सुहओ पडाय-धय-चिंचइओ ॥ [२५९०] उवरि-निहित्त-सिलोहो भीसण-निम्मविय-सीह-पडिरूवो । रयणट्टालय-गोउर-गवक्ख-कलिओ को सालो ॥ [२५९१] पायारस्स य एयस्स पासओ खाइया रयण-पद्धा । दो-कंड-वायविक्खंभ-रेहिरा वेइया-कलिया ॥ [२५९२] विमल-जल-पूर-पुन्ना जलयर-भीमा अणिट्ठिय-तरंगा । कमल-वण-संकुला पर-वलाण मणसा वि दुल्लंघा ॥ [२५९३] वर-पउमराय-मरगय-वेरुलियंकाइ-विविह-रयणेहिं । मणि-कंचण-फलिहेहिं य विणिम्मिया तीए पासाया ॥ [२५९४] वट्टा चउरंसा आयया य गिरिकूड-सव्वओभदा । सोत्थिय-मंदर-अवतंस-वद्धमाणाइ-णामेहिं ॥ [२५९५] एग-भूमिय के-वि पासाय कि-वि दोहिं भूमिहिं कलिय तिहिं वि के-वि कि-वि चउहिं भूमिहि । पंचहि छहिं सत्तहिं वि भूमियाहिं वर-रयण-घडिइहि ॥ उववण-कीडा-सर-सिसिर- दीहिय-पुक्खरिणीहि । मणि-कंचण-सिल-संचइण घडिय-केलि-सिहरीहि ॥ [२५९६] ण्हाण-कीलण-कोस-सयणीयआयरिसय मंतणय- दृइकम्म-आहरण-भवणिहिं । अंतेउर-देवहर- अंगभोग-भोयणहं ठाणिहिं ॥ धय-मालाउल-सेहरिहि रयण-मइहिं सालेहिं । उवसोहिय तह पिहिय-रवि- किरण-तुंग-मालेहिं ॥ २५८९. १. क. वहुं. २५९१. १. खाइयाए. २५९६. ३. क. भवणिहि. ८. क. उवसाहिय. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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