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________________ ५८३ ५८३ २५८८ ] नवमभवि वारवइनिम्माणु जओ भणियं - [२५७९] तियसवइ-पेसिएणं वेसमणेणं पुरी विणिम्मविया । वारस-जोयण-दीहा नव-जोयण-वित्थडा रम्मा ॥ [२५८०] वारवई-अभिहाणा सा भुत्ता तेण पढम-जुयलेण । वीयं जुयलं हलि-केसवाण देसे सुरहाए ॥ [२५८१] वारि-पुरे उप्पन्नं तेण वि भुत्ता इमा पुरी रम्मा । तइयं कुसट्ट-देसे महा-पुरे जुयलमुप्पन्नं ॥ [२५८२] परिभुत्ता तेणावि-हु सा नयरी तह चउत्थ-जुयलेण । आनट्ट-देस-सन्निउर-संभवेणावि सा भुत्ता ॥ [२५८३] जं पुण जम्म-ठाणं कहिया आवम्सयम्मि वारवई । तिण्ह दुविठु-प्पमुहाण तं पुणासन्न-भावेण ॥ [२५८४] मोत्तुं वलएव-हरी एए चउरो सुएण वि इमेसिं । अन्नेण नयरि भुत्ता सा वारवई महा-नयरी ॥ [२५८५] इय सोऊणं हरिणो वयणं अब्भत्थण च पुव्वुत्तं । अब्भुवगमिउ तयं मुत्थिय-तियसो खणद्धेण ॥ [२५८६] ओसारइ जलनिहिणो सलिलं नयरी-निवेस-ठाणम्मि । इत्तो य सुहम्म-सुराहिवस्स वयणेण वेसमणो ॥ [२५८७] कुणइ अहो-रत्तेणं नयरिं रयणेहिं निम्मियं रम्मं । वारस-जोयण-दीहं नव-जोयण-पत्त-वित्थारं ॥ [२५८८] नव-हत्थ-भूमि-मग्गो अट्ठारस-हत्थ-विहिय-उस्सेहो । वित्थरओ य दुवालस-हत्थो नयरीए सव्वत्तो ॥ २५८३. १. क. तं पुण, कहिगा. ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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