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________________ २५७५ नेमिनाहचरिउ [२५७५] तह सुघोसभिहाणु वरु संखु वीइज्जउ हलहरह देइ विविह-वत्थूहिं सहियउ । जंपेइ य-तुटु तुह किह णु कण्ह हउं तई सुमरियउ ॥ मग्गसु जं किं-चि वि मणह तुह पडिहासइ वत्थु । जह आणेविणु भुवणह वि मज्झह देमि समन्थु ॥ [२५७६] तयणु केसवु भणइ साणंदु संपज्जइ किं न तई तुट्ठ-मणिण सुर-रयण दुलहु वि । तह भरह-खित्ति जइ वासुदेवु नवमु म्हि अहमवि । एसो वि-हु मज्झ गुरु- बंधु मुसलि वलएवु कहमवि ॥ तुमइ वि जइ पुचिल्लयहं हरिहिं चउहुं किउ ठाणु । नयरि निवेसिवि मह वि इय तं चिय कुणसु पम्वाणु ॥ [२५७७] पुरउ अक्खिउ आसि किर अम्ह अइमुत्तय-महरिसिण पुचमवि-हु अइ-गरुय-चित्तय । सिरि-अयल-तिविटूटु हलि- विण्हु-नाम निम्मल-चरित्तय ॥ सिरि-पोयणपुर-पुरवरह सलिल-कील कुव्वंत । सिरि-पहास-अभिहाणयइ एयहं तिथि पहुत्त ॥ [२५७८] विहिय-अट्ठम-तवहं पुरि ठाणु मग्गंनहं तुह पुरउ तइं विइन्नु तहं इच्छ-माणिण । सक्कि दह-वयणु पुणु उवलभेवि वेसमण-तियसिण ॥ मणि-कंचण-वत्थाहरण- पूरिय-धवलघरोह । वारवई पुरि निम्मविय जिय-अमरावइ-सोह ॥ २५७५. १. अभिहाणु. ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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