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________________ [२५६७ नेमिनाहचरिउ [२५६७] अहह सामिय किं किमेयं ति इय भणिरिण परियणिण कह-वि निवह चेयन्नु आणिउ । एयं पि-हु निव-वरहं मुहिहिं सयलु जायविहिं निसुणिउ ॥ ता गरुयर-हुय-पच्चइहिं *मुहि-महुयर-अरविंदु । सो नेमित्तिउ पूइयउ हरि-मुसलिहिं साणंदु ॥ [२५६८] कमिण अग्गिम-मग्गि गमिराह ससि-निम्मल-नाणु तहं मिलिउ एगु मुणि-रयणु चारणु । अह भाविण थुणिउ तमु चलण-जुयल दुग्गइ-निवारणु ॥ पत्थावंतरि तिण कहिउ समुदविजय-निवइस्सु । आसि निवेइउ नमि-जिणिण हरिसेणह चक्किस्सु ॥ जहा [२५६९] जंबु-दीविहिं भरह-वासम्मि सिरि-सोरियपुरि नयरि समुदविजय-वसुहाहिरायह । सिवदेविहि उयरि सुर- राय-नमिउ हिउ जंतु-जायहं ॥ जायव-वंस-सिरोरयणु वावीसइम-जिणिंदु । नेमि-नाहु हविहइ भुवण- पणमिय-पय-अरविंदु ॥ [२५७०] अद्ध-भरहह सामि-भावेण होहिंति पुणु कण्ह-वलएव तणय वसुदेव-रायह । इय निमुणिवि तुट्ट-मण थुइ करेवि मुणिवरहं पायहं ॥ अक्खंडेहि पयाणइहि जायव-निव वच्चंत । सोरट्टई रेवय-गिरिहिं अवरुत्तरहं पहुत्त ॥ * Lines २५६७. ७. to २५६८. ३. are dropped in ख. ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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