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[ २५५१
नेमिनाहचरिउ _ [२५५१]
अह सु सविहागयउ निसुणेवि पछन्न-चारहं मुहिहिं भीय-चित्त कंपंत जायव । मा मरियउ रिउ-करिहि इय मुणंत सुक्क व्च पायव ॥ तक्खण-जालिय-चिय-सहस- मज्झि अप्पु खिविऊण ।। छारुक्कुरुडीहूय लहु चियह जलणि जलिऊण ॥
[२५५२]
भमहिं कुंजर दड्ढ-आरोह निन्नायग पडहिं चिह- चक्कि चवल धाविवि तुरंगम । परिडज्झहिं रह तुरिउ रिउ वि पत्त इह जिह पवंगम ॥ एहि ति चिट्ठहिं जायवहं सेन्न-निवेस अणाह । इय कसु कहउं कु फेडिसइ इहि मह हियडइ डाह ॥
[२५५३]
इह अहं पि-हु भुंड-निल्लाड निभग्ग निलक्खणिय करिसु छेहु स-दुहहं मरेविणु । निय-वंधव-हरि-मुसलि- चियहं इमहं निच्छइं पडेविण ॥ इय भणिर वि तसु पेक्खिरह तहिं सा निवडिवि मुद्ध । डज्झिवि खण-मित्तिण वि हुय छारह रासि विसुद्ध ॥
[२५५४] __अहह स-जणय-भइणि-पच्चक्खु मई अच्छि पइन्न किय जह अवस्सु मज्झह वि जलणह । कड्ढेविणु नियय-रिउ नृण पुरउ आणिसु स-जणयह ॥ ते उण निय-दुक्कय-निहय पविसेविणु जलणम्मि । मया तहा जह न मुणियइ सुद्धि वि तेसि जयम्मि ॥ २५५१. ५. क. सुणत. २५५३. ३. क. सदुहवं.
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