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________________ . ४ नेमिनाहचरित [१५४३ [२५४३] मरण-कारण पेक्खमाणो वि अ-नियंतु व विहि-हयउ चलिउ कालु सुयणिहिं निसिद्ध वि । अ-वियाणिरु कज्ज-विहि- विसउ काल-पासेहिं वद्ध वि ॥ अहवा जं जं कारियइ पाविहिं पुव्व-कएहि । तं तं जीयु करेइ धुवु किं कीरइ इयरेहिं ॥ [२५४४] पुरउ वच्चहिं कण्ह-चलएव निय-जायव-परियरिय पच्छओ उ सो कालु स-बलु वि । अवगच्छिर दो-वि पुणु पक्ख एहु वुत्तंतु सयलु वि ॥ अइरेण य थोवंतरिण विंझ-गिरिहि सविहम्मि । आगय अह भरहद्ध-सुर-, अंगण खुहिय मणम्मि ॥ [२५४५] दिव्व-सत्तिण विहिय-इग-दारु सुर-पव्वय-तुंगु गिरि दुहं वि वलहं अंतरि विउव्वइ । एत्थंतरि सिविर-भर- डरिय-वइरि तहिं कालु आवइ ॥ किं पुणु पिक्खइ गिरिहिं निय- पह-पिंगलिय-दिसाइं । सिमिसिमिसिमिरहं डज्झिरहं मडयह चियहं सयाइं ॥ [२५४६] अरिरि किं इहु इय विचितंतु जा अग्गिम-मग्गु कु-वि अक्कमेइ ता कालु पिक्खइ । पढ मेल्लुय-जोव्वणिय पलवमाण-बहु-संख-दुक्खई ॥ भुवण-अहिय-निय-रूव-सिरि मउलिय-मुह-कंदुट्ट । जलिरह एगह चियह तडि वालिय एग दुहट्ट । २५४४. १. क. पुर; वलए. २५४५. ५. क. सविर corrected as सिविर; ख. सविर. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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