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२५४२ ] नवमभवि जायचजरसंधविसेहु
[२५३९] इओ य -
पुव्व-वइयरि सयलि स-विसेसि अक्खायइ सोमगिण फुरिय-रोस-वस-अरुण-लोयणु । जरसंघ-नरिंदु हुउ दुसहु खयह कालि व विरोयणु ॥ भणइ य - अरिरि चउद्दसिहि जाउ अस्थि कु-वि वीरु । जो मह गोव निदंसिउण सियलावेइ सरीरु ॥
[२५४०]
तयणु पसरिय-गरुय-विरिएण रिउ-दुद्धर-पोरिसिण पत्त-कित्ति-पसरिण अयालिण । जरसंध-नराहिवह
पुरउ तमु जि नंदणिण कालिण ॥ पासि करेविणु जीवजस जंपिउ - अइराओ वि । हउं इह आणिसु रिउ-निवहु कइढिवि जलणाओ वि ॥
[२५४१] __ अह स-हत्थिण तुट्ट-हियएण जरसंध-नराहिविण तमु विइन्नु कप्पूर-बीडउं । सह पेसिय पंच सय नरवईण अमियंतु घोडउं ॥ कुंजर-सुहड-रहाहं पुणु कालिण सह चलियाहं । अंतु न मुणियउ तइयहं वि हउं किं वन्नउं ताई ॥
[२५४२]
एत्थ-अंतरि पडिउ झय-कलसु जय-कुंजरु अत्थमिउ भग्गु दंडु पुणु पुंडरीयह । पडिकूलु स-सक्करउ फुरिउ अनिलु हुउ कंपु वमुहहं ॥ वामउं नयणु परिप्फुरिउ अवरि वि हुय उप्पाय । ता सयलि वि कालह सुहड सामल-मुह संजाय ॥ २५३९. ६. चउद्दिसिहि. २५४०. ७. क. ख. अइराउ. २५४१. ८. क. तइयंह.
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