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२५०९ ]
नयमभवि कंसवहु [२५०६]
तयणु कण्हह समुहु समुवेंत ते पेविखवि हलहरिण गहिवि थंभु सु-महल्लु मंचह । परिताडिय तह कह-वि जह ति सयल परिटलिय संचह ॥ कुविय-कयंत-समाणु वल पेक्खि दिसो-दिसि जंति । कि-वि कि-वि विवस-असेस-तणु-इंदिय तहिं जि मरंति ॥
[२५०७]
एत्थ-अंतरि कंस-वयणेण जरसंघ-नगहिवह सेन्नु आसि जं तत्थ पत्तउं । तसु रक्खण-कइ तई जि मयई तम्मि अमरिसिय-चित्तउं ॥ लग्ग निय-सामिहि भइण जा सन्नाहु करेउ । ता ति समुदविजयाइ-नर- नायग तमणुसरेउ ॥
[२५०८]
एहु अवसरु इय विभावंत सन्नाहिय-नियय-वल जुडिय तस्सु जरसंध-सेन्नह । खण-मित्तिण पवण-हय- घण व न? ते सुहड अन्नहं ॥ संरुद्धम्मि य सयलह वि महुरह पुरिहि पवेसि । जरसंधह हय-गय-सुहड नासिवि गया विएसि ॥
[२५०९]
कंसु कण्हिण पुणु नियय-बंधुवह-वइयर-अमरिसिण निय-करहिं केसहिं गहेप्पिणु । परिखित्तउ कढिउण रंग-वहिहिं साडोवु नेप्पिणु ॥ तयणु अणाहिहिउ कुमरु जायव-निव-वयणेण । हरि-हलहर सउरिहि भवणि आणइ रह-रयणेण ॥
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