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[ २४६८
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नेमिनाहचरिउ
[२४६८] जहा -
दस-दसारहं निवहं लहु वंधु सोहग्गि-सिरोरयणु खयर-मणुय-तरुणियण-मणहरु । परिसेसिय-पिसुण-जणु सुयण-जणिय-आणंद-सुंदरु ॥ अहवा भुवणव्भहिय-गुरु गुण-रयणेहिं समिछु । सिरि-वसुदेवु नराहिवइ तुह जणउ त्ति पसिद्ध ॥
[२४६९]
ध्य देवय-धरणिनाहस्सु वसुदेवह सहयरिय विजिय-भुवण-तरुणियण-चंगिम । नीसेस-कला-निलय सुयण-सुहय-सह-जाय-वढिम ॥ महुर-पयंपिर थिरु गमिर सुंदर-गुरु-गुण-गाम । नारायण तुह जय-पयड जणणी देवइ-नाम ॥
[२४७०]
थोव-थोवहं दियह अवसाणि गो-वग्ग-पूयण-च्छलिण वाह-सलिल-पडिपुन्न-नयणिय । तुह वयणि खिवेइ थण- दुधु स ज्जि छण-चंद-चयणिय ॥ तह सिरि-समुदविजय-निवह सउरि-गरुय-वंधुस्सु । तिहुयण-तरुणि-सिरोमणिहिं सिवदेविहि दइयस्सु ॥
[२४७१]
तणउ सुरवर-खयर-नर-नमिउ तयलोय-चिंतारयणु जणिय-भुवण-आणंद-वित्थरु । तुह वंधवु अतुल-वल्लु जय-सरण्णु सिरि-नेमि-जिणवरु ॥ वालत्तणि तुह रक्खणह कज्जिण जेट्ठउ बंधु । हउं पेसवियउ सउरिण जि पयडिय-गुरु-पडिवंधु ॥ २४६९. ६. क. विरगमिरु.
२४७०. ३. क. ख. वाहु.
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